लविवि के पाठ्यक्रम में शामिल होगा अनुच्छेद 370 और सीएए

लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) में राजनीति शास्त्र के छात्र अब अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन कानून सीएए) के बारे में भी पढ़ेंगे। लविवि प्रशासन पुराना पाठ्यक्रम बदलने की तैयारी में है। इसे लविवि की बोर्ड बैठक कार्यपरिषद की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा। विवि प्रशासन ने सभी संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों को जल्द नए सेलेबस को डिजाइन करने का लक्ष्य दिया है। विवि प्रशासन के मुताबिक राजनीति शास्त्र विभाग की ओर से अनुच्छेद 370 और सीएए को भी कोर्स शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा । उनका तर्क है कि प्रतियोगी परीक्षा ताजा और अपडेटेड पाठ्यक्रम का लाभ ही परीक्षार्थी को मिलता है। इसके लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इस बाबत विवि के कुलपति प्रोआलोक कुमार राय का कहना है कि राजनीति शास्त्र विभाग की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है। चूंकि अनुच्छेद 370 और सीएए अब कानून का रूप ले चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि विद्यार्थी इससे भलीभांति परिचित हों।


हालांकि अभी इस प्रस्ताव को बोर्ड बैठक व कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।  


अब सीएए पाठ्यक्रम पर गहराई सियासत 


नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर सियासी गर्माहट और बढ़ गई है। विपक्ष ने इस पर कडी आपत्ति दर्ज कराई है। बसपा प्रमुख मायावती ने सत्ता में आने पर इसे वापस लेने की बात कही है। शुक्रवार को बसपा अध्यक्ष ने ट्वीट किया कि सीएए पर बहस आदि तो ठीक है, लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में  शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगीवहीं, समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि हर मोर्चे पर फेल हो चुकी भाजपा शिक्षण संस्थाओं को भी विद्वेष की राजनीति का अड्डा बना देना चाहती । नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सरकार का उतावलापन समाज को तोड़ने का काम कर रहा है। चौधरी कहा कि भाजपा ओछे हथकंडे अपनाकर अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश में जुटी है।