सहारनपुर । जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज कथा स्थल पहुंचे। आनंदित होकर उन्होंने कहा कि जिस तरह से श्रीमद भागवत कथा के साथ-साथ 18 महापुराण एवं 108 श्रीमद भागवत के मूलपाठ चल रहे हैं, वह अद्भुत है। सहारनपुर के लिए यह सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी व्यथा डर है, मनुष्य चिंताओं से घिरा हुआ है। श्रीमद् भागवत कथा इसी डर को खत्म करती है और मनुष्य को परमात्मा से मिलाती हैं।
विद्वानजनों का आभार जताया
__ जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज और कथाव्यास राघवाचार्य महाराज का जिले वासियों की ओर से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि गीता । का ज्ञान जितना मुझे समझ आता है उसका सार यही है कि आप जहां भी जाओ धर्म के अनुरूप ही काम करो। अगर किसी कार्य को करते हुए आपके मन में शंका है, आपकी आत्मा इसकी आज्ञा नहीं देती तो उस कार्य को वहीं रोक देना चाहिए।
अरणि मंथन से यज्ञ में अग्नि प्रकट
माघ मास के पावन पर्व पर साउथ सिटी में चल रहे अष्टादश पुराण एवं अष्टोत्तर शत 108 श्रीमद् भागवत के पारायण और होमात्मक महालक्ष्मी यज्ञ में अरणि मंथन के द्वारा अग्नि प्रकट की गई। प्राचीन काल में भी भगवान कृष्ण और भगवान राम के समय से यज्ञ होते आए हैं। यज्ञ साक्षात विष्णु हैं यज्ञ से ही प्राणियों का कल्याण होता है। अरणि मंथन पर प्रकाश डालते हुए यज्ञाचार्य आचार्य अमित भारद्वाज, संजीव शास्त्री व पं. कमलनयन वेदपाठी ने कहा कि हमारी प्राचीन परंपरा में अरणि का मंथन करने से ही अग्नि प्रकट की जाती थी, इस यज्ञ में अरणि मंथन के द्वारा ही अग्नि प्रकट की गई। नौ दिन तक चलने वाले इस यज्ञ में महालक्ष्मी के दिव्य मंत्रों से प्रतिदिन हवन होगाप्रातःकाल चारों वेदों का ब्राह्मणों द्वारा वेद पाठ होता है।
यज्ञ में आहुति से मनोरथ होते हैं पूर्ण ।
यज्ञ के आयोजक पं. अभिषेक कृष्णात्रेय ने कहा के यज्ञ सबसे श्रेष्ठ कर्म है। अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत के ब्राह्मणों के द्वारा देव पूजन कराया जाता है इसमें नौ कुंड बनाए गए हैं। नौ कुंडों की अलगअलग महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इन कुंडों में आहुति देने से सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं।